आज मैं अपने गाँव गया, जहाँ हरियाली का बसेरा पाया,
हरे-भरे पौधों का सुंदर नज़ारा, मन को शांति और सुकून दिलाया।
अब सोचता हूँ, क्यों न शहर भी ऐसे हों,
जहाँ हर ओर पेड़-पौधे ही पोषें हों।
आज मैं अपने गाँव गया, जहाँ हरियाली का बसेरा पाया,
हरे-भरे पौधों का सुंदर नज़ारा, मन को शांति और सुकून दिलाया।
अब सोचता हूँ, क्यों न शहर भी ऐसे हों,
जहाँ हर ओर पेड़-पौधे ही पोषें हों।