Jarul - Pride of India
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(गमले के बिना मिलेगा 1 से डेढ़ फीट )
(कम से कम कोई भी 2 पौधे लेने पर डिलीवरी फ्री है। )
भारत का गौरव या प्राइड ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाने वाला जारूल का पेड़, भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है. इसे क्वींस फ़्लावर और महाराष्ट्र में तम्हन के नाम से भी जाना जाता है. जारूल के कई औषधीय गुण हैं:
यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और बिगड़े वनों को फिर से हराभरा करने में मदद करता है.
महाराष्ट्र में इसके कई महत्वपूर्ण गुणों के बाद इसे राजकीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है
इसके अलावा इसमें लगने वाले सुंदर फूलों की वजह से इसे एवेन्यू-ट्री के रूप में भी पहचान मिल चुकी है।
नोट: काली थैली निकाल कर ३ भाग काली मिट्टी + १ भाग रेती +१ भाग कंडा लेकर गमले में लगाएं।
(कम से कम कोई भी 2 पौधे लेने पर डिलीवरी फ्री है। )
भारत का गौरव या प्राइड ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाने वाला जारूल का पेड़, भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है. इसे क्वींस फ़्लावर और महाराष्ट्र में तम्हन के नाम से भी जाना जाता है. जारूल के कई औषधीय गुण हैं:
यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और बिगड़े वनों को फिर से हराभरा करने में मदद करता है.
महाराष्ट्र में इसके कई महत्वपूर्ण गुणों के बाद इसे राजकीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है
इसके अलावा इसमें लगने वाले सुंदर फूलों की वजह से इसे एवेन्यू-ट्री के रूप में भी पहचान मिल चुकी है।
नोट: काली थैली निकाल कर ३ भाग काली मिट्टी + १ भाग रेती +१ भाग कंडा लेकर गमले में लगाएं।
(गमले के बिना मिलेगा 1 से डेढ़ फीट )
(कम से कम कोई भी 2 पौधे लेने पर डिलीवरी फ्री है। )
भारत का गौरव या प्राइड ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाने वाला जारूल का पेड़, भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है. इसे क्वींस फ़्लावर और महाराष्ट्र में तम्हन के नाम से भी जाना जाता है. जारूल के कई औषधीय गुण हैं:
यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और बिगड़े वनों को फिर से हराभरा करने में मदद करता है.
महाराष्ट्र में इसके कई महत्वपूर्ण गुणों के बाद इसे राजकीय वृक्ष का दर्जा मिला हुआ है
इसके अलावा इसमें लगने वाले सुंदर फूलों की वजह से इसे एवेन्यू-ट्री के रूप में भी पहचान मिल चुकी है।
नोट: काली थैली निकाल कर ३ भाग काली मिट्टी + १ भाग रेती +१ भाग कंडा लेकर गमले में लगाएं।