काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में
Cement बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में
लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में
मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में
मस्त है किसी खुमारी में
और वो ही बंदा
अपने घर के आगे नदी चाहता है !
आदमी बेवकूफ है, कुछ भी चाहता है।
"~राहगीर की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ"
It seems like both "Jivan" app and "Rahgir" are on the same mission—to create a better, greener planet. These platforms are committed to promoting environmental sustainability and encouraging people to take action for their communities.
Cement बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में
लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में
मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में
मस्त है किसी खुमारी में
और वो ही बंदा
अपने घर के आगे नदी चाहता है !
आदमी बेवकूफ है, कुछ भी चाहता है।
"~राहगीर की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ"
It seems like both "Jivan" app and "Rahgir" are on the same mission—to create a better, greener planet. These platforms are committed to promoting environmental sustainability and encouraging people to take action for their communities.
काट के सारे झाड़-वाड़, मकाँ बना लिया खेत में
Cement बिछा कर ज़मीं सजा दी, मार के कीड़े रेत में
लगा के परदे चारों ओर क़ैद है चार दीवारी में
मिट्टी को छूने नहीं देता, मस्त है किसी खुमारी में
मस्त है किसी खुमारी में
और वो ही बंदा
अपने घर के आगे नदी चाहता है !
आदमी बेवकूफ है, कुछ भी चाहता है।
"~राहगीर की कविताओं की कुछ पंक्तियाँ"
It seems like both "Jivan" app and "Rahgir" are on the same mission—to create a better, greener planet. These platforms are committed to promoting environmental sustainability and encouraging people to take action for their communities.